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ललित मोदी को शत-शत नमन जिन्होंने ग्लैमर के साथ क्रिकेट को सफल कारोबार का रूप दे दिया। भले भारत सरकार के नवरत्न बाजार में पिट गए, आईपीएल का शेयर कुलांचे भर रहा है। धर्मशाला तो छोटा है पर कानपुर, नागपुर, अहमदाबाद, इंदौर जैसे महानगरों को पछाड़ कोच्चि और पुणे बिक गए। बिके भी तो हल्के में नहीं, दोनों की कीमत (३२ अरब रुपए) पिछली आठ टीमों के कुल जमा दाम से भी अधिक है। माननीय मोदी जी ने उम्मीद जताई है कि दोनों फ्रेंचाइजी बढ़िया कारोबार करेंगे। उनके मुंह से ये शब्द नहीं निकले कि आईपीएल की ये नई टीमें खेल की प्रतिस्पर्धा को नई उंचाइयां देंगी या क्रिकेट में इनका योगदान उल्लेखनीय रहेगा। खेल को बिजनेस का शक्ल देना इसी को कहते हैं। वैसे भी आईपीएल में सबकुछ है, फिल्मों के नायक हैं, तारिकाएं हैं, छम-छम करतीं चीयर्स लीडर हैं, सेलिब्रिटी हैं, शराब है, शबाब है लेट-नाइट पार्टी है, क्रिकेट तो बस नाम का है।
बिजनेस की हॉस्पिटेलिटी देखिए एक केंद्रीय मंत्री की पुत्री ने आईपीएल प्रेमियों के लिए एक पैकेज दिया है २२ लाख का। उद्घाटन समारोह, सेमी फाइनल-फाइनल छोड़, इसमे सभी ५६ मैचों के प्रवेश टिकट, हवाई यात्रा और पांच सितारा खान-पान सुविधाओं के साथ ही पोस्ट आईपीएल पार्टी का खर्च शामिल है। अगर आप सभी मैच में शामिल नहीं होना चाहते तो एक मैच के लिए एक व्यक्ति का रेट है ५० हजार रुपए। सेमी फाइनल और फाइनल के अलग रेट हैं १.४२ लाख रुपए प्रति व्यक्ति। बालीवुड की ताजातरीन नायिकाओं और सेलिब्रिटी से सजी पार्टी की रौनक को देखते हुए यह मूल्य कम ही प्रतीत होगा। दिल्ली में हुई पोस्ट आईपीएल पार्टी की जो झलक अखबारों में दिखी उसमे हरभजन और युवराज सरीखे खेल से अधिक आधुनिकाओं के साथ आमोद-प्रमोद के लिए चर्चा में रहे। इस पार्टी के एक्सक्लूसिव टिकट का घोषित मूल्य था ४० हजार रुपए। जब मैच की एक-एक गेंद तक बिक चुकी हो और चौका-छक्का कहां से लगा कहां गया यह देखने-समझने से पहले विज्ञापन परोस दिए जाते हों देर रात की पार्टी निशुल्क किस खुशी में हो?
आईपीएल सिर्फ और सिर्फ खेल होता तो शायद आयोजक कुछ मूल बातों पर जरूर ध्यान देते। पहले क्रिकेट मैच और बड़े टूर्नामेंटों की तारीखें तय करते समय आयोजक ध्यान रखते थे कि उस दौरान बोर्ड की परीक्षाएं न हों या उसके आगे पीछे होली-दिवाली जैसे त्योहार न पड़ रहे हों। मंशा कि छात्रों की पढ़ाई में खलल न पड़े या फिर दर्शक समूह को टीवी के सामने बिठाने में सहूलियत रहे। आज देश में अगर क्रिकेट पूजा जा रहा है तो उसके पीछे हैं करोड़ों की संख्या में दर्शक लेकिन आईपीएल कमाने में दर्शक हित कहीं पीछे छूट रहा है। पिछली बार जब चुनाव के समय सरकार ने सुरक्षा देने में ना नुकर की तो ललित मोदी आईपीएल को ले उड़े दक्षिण अफ्रीका। चिदंबरम् जैसे प्रोफेशनल गृहमंत्री गुस्से में कहने से नहीं चूके कि आईपीएल सिर्फ खेल नहीं, खेल से बढ़कर भी कुछ है। चुनाव में माना गया कि आईपीएल ने नेताओं की जनसभा में भीड़ कम कर दी। इन हालात में यह अपेक्षा करना कि आयोजक बोर्ड परीक्षाओं को माफी देंगे बेकार है। मार्च में आईसीएसई, सीबीएसई समेत सभी राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं होती हैं और आईपीएल का तमाशा पूरे शबाब पर है। बच्चे परीक्षा दें कि आईपीएल देखें? अभिभावकों के दिमाग में परीक्षा है तो बच्चों का ध्यान आईपीएल पर। कौन कहे, किससे कहे कि कृपया पूरे साल तीन टाइम क्रिकेट का डोज न दें, गरमी-बरसात भूल गए, दिन-रात का विभेद मिटा डाला कम से कम बच्चों की परीक्षा तो बख्श देते। आईपीएल वालों को सरकार समझा नहीं सकती तो कम से कम बोर्ड से परीक्षा की तिथियां ही मोदी से पूछ कर तय करने को कहे।
आईपीएल का तमाशा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है। अभी ४५ दिन में ६० मैच हो रहे हैं अगले साल से ९४ होने हैं यानी कुछ नहीं तो दो महीने का उत्सव। आयोजकों के लिए मार्च – अप्रैल का समय ही शायद मुफीद बैठता है क्योंकि आईसीसी के कैलेंडर में यही समय खाली रहता है। और बीसीसीआई अब इतनी हैसियतदार है कि आईसीसी का कैलेंडर अपने हिसाब से बना सके और बदल सके। आईपीएल के आगे सभी देशों के खिलाड़ी और क्रिकेट बोर्ड नत मस्तक हैं आखिर असली ब्रेड-बटर तो इसी में है। सौजन्य बीसीसीआई, एक यही क्षेत्र है जहां हम शान से कह सकते हैं कि क्रिकेट में वही होता है जो भारत चाहता है। बाकी तो हमारी पड़ोस तक में नहीं चलती, चीन आंखें तरेरता है, पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा, नेपाल – बांग्लादेश सरीखे भी चिढ़ाने के लिए चीन की तरफ हाथ बढ़ाने लगते हैं।
आईपीएल की माया देखिए, इस ४५ दिन में देश की सारी समस्याएं उड़न-छू हो गईं। हम भूल गए कि गरीब देश के रहने वाले हैं, नहीं याद रहा कि महंगाई से रसोई तंग है, कि पवार की कृपा से गरमी शुरू होते दूध का भाव ३० रुपए लीटर हो गया, कि महंगाई रोकने का वादा करके केंद्र ने पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा दिए। महंगाई की आड़ में आरबीआई ने होम और कार लोन महंगा करने की जमीन बना दी, गैस-केरोसिन के दाम बढ़ाने की तैयारी है। इसी हल्ले में दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार ने बजट में रसोई गैस से सब्सिडी हटा ली, अब प्रति सिलिण्डर ४० रूपए अधिक देने होंगे। फिर भी हम गाएंगे जय हो…।
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