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बधाई हो सानिया मिर्जा, निकाह की राह निष्कंटक हो गई। अब आप सुकून से १५ को शोएब के साथ निकाहनामा पढ़ सकती हैं। फतवों के देश जाकर दावत-ए-बलिमा दे सकती हैं, दुबई में सुकून से गृहस्थी बसा सकती हैं। सच्चाई कबूलने के लिए शोएब को भी मुबारकबाद, साथ में एक नेक सलाह कि सानिया के साथ वो सुलूक न करना जो आएशा के साथ किया। मियां याद रखना ये भारतीय लड़कियां हैं प्रेम करती हैं तो हद से गुजर जाती हैं, बाकी तो समझदार के लिए इशारा काफी है।
आयशा सिद्दीकी के जज्बे को सलाम। शाबाश आयशा तुमने वो कर दिखाया जिसके लिए बहुत कम लड़कियां हिम्मत जुटा पाती हैं। तुम्हें कौन सा तमगा दिया जाए? हां झांसी की रानी ही ठीक रहेगा, खूब लड़ी मर्दानी। तुमने शोएब मियां को परास्त करके छोड़ा। पाकिस्तान की सारी कूटनीति धरी रह गई। वहां के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी से लेकर बड़े-बड़ों की बोलती बंद कर दी। यह उन लोगों की हार है जो तुम्हारे प्यार को ठगी और निकाह को नाजायज बता रहे थे। यह जीत तुम्हारी अपनी है, उन सभी लड़कियों की भी, जो प्यार व विवाह में छली जाती हैं। इसमे तुम्हारे साथ सरकार कहीं नहीं थी, थी तो केवल देश की सहानुभूति। आम तौर से प्यार में छली और शौहर की ठुकराई लड़कियां घुट-घुट कर जीना ही नसीब मान लेती हैं और परिजन बदनामी के डर से चुप्पी साध लेते हैं। सामाजिक लांछन का डर बहुत आघातकारी होता है। खास तौर से उन हालात में जिनसे आठ साल आयशा सिद्दीकी गुजरी है। शोएब मलिक पहले तो कहते रहे कि वह किसी आयशा को नहीं जानते। उन्होंने तो महा आपे को देखा है और उसी से बस चैटिंग की थी। आयशा ने जब तलाक मांगना शुरू किया तो मियां कहने लगे कि निकाह हुआ नहीं तो तलाक कैसा? आयशा ने निकाहनामा सामने रखा और हस्ताक्षर पहचानने को कहा, बयान दिया कि धोखा देकर निकाहनामे पर दस्तखत लिए गए। फिर आयशा ने फोटो दिखाए, शायद उसे पहचान जाएं लेकिन शोएब को तो आयशा के घर साथी क्रिकेटरों के साथ की पार्टी तक याद नहीं थी। टीवी पर दिए पुराने बयान और फुटेज तक वह भूल चुके थे। आखिरकार आयशा को ताज होटल का कमरा नंबर बताना पड़ा जहां वह निकाह के बाद बतौर बीवी शोएब के साथ ठहरी थी और रात गुजारी थी। शोएब को शायद नहीं पता होगा, आयशा ने शादी की पहली रात के अपने कपड़े तक सुरक्षित रखे थे जो सुबूत के तौर पर उसने एफआईआर के बाद पुलिस को दिए थे। बताते हैं कि परंपरागत मुस्लिम परिवारों में रिवाज है कि शादीशुदा लड़कियां पहली रात के अपने कपड़े सुरक्षित रखती हैं जिनमे मधुमुंद्रिका संपन्न होती है। सामान्यतया तो उस कपड़े को धुलकर रखती हैं और बाद में उसे अपनी बेटी या पुत्रबधू को दे देती हैं जबकि कुछ उसे बिना धुले ही सुरक्षित रख देती हैं। पुलिस आयशा के कपड़ों की फोरेंसिक जांच करा रही है। अगले क्रम में जांच के लिए शोएब के खून के नमूने भी लिए जाने थे। परत-दर-परत भेद खुलती देख शोएब और उनके परिजन समझौते की राह पर आए। तलाक तो देना ही पड़ा, मेहर भी भरेंगे। यह आएशा की सामाजिक और नैतिक जीत है।
तलाक साबित करता है कि आयशा अपनी जगह जायज थी और शोएब एक सच को झूठ साबित करने पर अड़े थे। सानिया की तो बोलती बंद है, यह उनकी नैतिक पराजय ही मानी जाएगी। लड़की होने के बावजूद सानिया एक लड़की का दर्द नहीं समझ सकीं, वह भी तब जबकि वह उनके परिवार के करीब थीं। या तो सानिया पहले से सब जानती थीं या फिर वह शोएब के बहकावे में आ गईं। यकीनन अपने मंगेतर के साथ ही उन्हें खड़ा होना था लेकिन तलाक से पहले मीडिया के सामने उनका यह कहना कि सच्चाई जानती हैं एक प्रकार से आयशा और उसके परिजनों को कठघरे में खड़ा कर रहा था। इस्लाम में चार शादियां जायज हैं और आयशा को बिना तलाक दिए भी शोएब अगर सानिया से निकाह पढ़वाते तो उसे कानूनी तौर से चुनौती नहीं दी जा सकती थी। अब आयशा आजाद है लेकिन सानिया? उसके हिस्से तो कानूनी रूप से दुआहू वर ही आया। सानिया हमेशा के लिए शोएब मलिक की दूसरी बेगम ही कही जाएंगी। कम से कम भारत में दुआहू घटी दरों के दूल्हे माने जाते हैं।
शोएब के साथी क्रिकेटरों की प्रतिक्रिया भली लगी। सभी ने आयशा के तलाक को देर से उठाया गया सही कदम बताया है। सानिया से गांठ जोड़ने से पहले ही उन्हें आयशा को तलाक दे देना चाहिए था। कम से कम दो परिवारों की रुसवाई तो नहीं होती, उनकी भी कम छीछालेदर नहीं हुई। यह शादी दो खेल हस्तियों की तो है ही, निजी भी है और दिल का मामला है लेकिन भारत-पाक रिश्ते को क्या कहें? पाकिस्तान तो हर चीज को अपनी हार-जीत से तौलने लगता है।
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