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ब्यूटीफुल सुनंदा, दिल मांगे आईपीएल

आउटर सिग्नल
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जब से सुना है विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर की महिला मित्र सुनंदा पुष्कर ने कोच्चि की आईपीएल टीम में हिस्सेदारी खरीदी है, सोचने लगा हूं कि हाय मैं क्यों नहीं एक टीम खरीद सकता। सुनंदा रातों रात हिट हो गईं। दुबई में भले ही वह सेलिब्रिटी होंगी, भारत में उनकी ब्रांड वैल्यू इस खबर के बाद ही बनी कि माननीय मंत्री जी उनसे प्रेम करते हैं, तीसरी शादी की इच्छा रखते हैं। दुआ कीजिए कि यह शादी निर्विघ्न संपन्न हो। सानिया-शोएब की तरह इसमे कोई पेंच न फंसे, हां यह हाईप्रोफाइल जोड़ी उनसे कहीं उन्नीस नहीं बैठेगी। रही बात कि थरूर पहले ही दो शादियां कर चुके हैं, बाल बच्चेदार हैं, केंद्र में मंत्री हैं तो क्या हुआ? हमारे राजनेता इस मामले में धनी हैं कि नैतिकता जैसी बेफालतू सवालों का उत्तर देना जरूरी नहीं मानते। हां पिश्चमी सभ्यता में रचे बसे थरूर सामान्य नेताओं से अलग जरूर दिख रहे थे। इसलिए कि उन्होंने यूएनओ में महासचिव जैसे पद का चुनाव लड़ा था। वैसे राज्य मंत्री बनने के बाद उन्होंने उम्मीद के विपरीत विदेश नीति के मोर्चे पर कोई येसा कुछ नहीं कर दिखाया कि लोग नीति-कूटनीति में उनका लोहा माने। स्वीट-ट्विट को छोड़कर। ट्विटर पर उनके विचारों ने समय-समय पर सरकार के लिए मुश्किलें ही खड़ी की हैं। हाई कमान के कृपापात्र न होते तो विरोधी कब को निबटा चुके होते। कहना गलत न होगा कि थरूर विदेश राज्य मंत्री के रूप में कम ट्विटर के रूप में ज्यादा लोकप्रिय हैं। ताजा तरीन महिला मित्र का मामला और नायाब है।
येसा नहीं कि इससे पहले किसी नेता या मंत्री का विवाहेत्तर प्रेम सामने न आया हो। वो चाहे कल्याण सिंह हों, नारायण दत्त तिवारी, जार्ज फर्नाडिस, रामविलास पासवान या फिर एनटी रामाराव का। बिना नाम लिए ढके-तुपे ढंग से तो कई नेताओं के नाम उछले हैं। हां इनमे थरूर इसलिए अलग हैं कि बाकी नेताओं की तरह वह अपने संबंधों को छुपाते नहीं। सुनंदा के लिए पैरवी की तो उसे साफगोई से स्वीकार भी किया। यह जांच का विषय हो सकता है कि कोच्चि टीम में सुनंदा की हिस्सेदारी मंत्री को उपकृत करने के लिए दी गई है या फिर मोल खरीदी है। अगर मोल खरीदी हो तो थरूर पर क्या आरोप बनेगा?
बोल्ड एण्ड ब्यूटीफुल सुनंदा को साधुवाद कि उन्होंने क्रिकेट में रूचि न होते हुए भी आईपीएल की कोच्चि टीम में निवेश किया। कश्मीर की मूल निवासी होकर उन्होंने केरल में क्रिकेट की चिंता की। बीच में गरीब यूपी – बिहार को क्यों छोड़ दिया? शायद इसलिए कि केरल से ही थरूर साहब चुनकर लोकसभा पहुंचे हैं। सुनंदा इस बात से नाराज हैं कि लोग उनके व्यवसायिक पृष्ठभूमि को नहीं देख रहे। उनके अंतरराष्ट्रीय एप्रोच को भी नहीं परख रहे। उनके सम्मानित और सफल कैरियर को नहीं देखा जा रहा। आशय कि आईपीएल में निवेश का निर्णय उनका अपना व्यसायिक है और इसमें थरूर को क्यों घसीटा जा रहा। सुनंदा यह भी कहती हैं उनके निजी जीवन में किसी को ताक-झांक का हक नहीं। ठीक बात, पहले दो शादियां कर चुकी हैं तो क्या गलत है? इसी चक्कर में मंगलवार को घर पहुंचे खबरिया चैनलों के रिपर्टरों को उनके परिजनों ने ईंट पत्थर लेकर दौड़ा लिया था।
सौजन्य सुरा, सुंदरी और शराब आईपीएल (इसमे क्रिकेट का सिर्फ तड़का है) सफलता के नित नए मानदंड गढ़ रहा है। जिस देश का राष्ट्रीय खेल पाई-पाई का मोहताज हो वहां आईपीएल पर डालर बरस रहे हैं। येसे में सुनंदा कोच्चि टीम की सह मालकिन बनने का मोह पालती हैं तो उनके व्यसायिक नजरिए की तारीफ ही की जानी चाहिए। अगर थोड़ी देर को मान लें कि अपने फाइव स्टार मंत्री थरूर ने ही सुनंदा को आईपीएल के लिए आगे किया या फिर उन्होंने ही अपने पावर या पैसा का इस्तेमाल किया तो भी गलत क्या है? अपने देश में मंत्रियों-नेताओं के सेवाभाव की नहीं, उनकी कमाऊ-खाऊ नीति की ही सर्वत्र प्रशंसा होती है। यह हमारा नहीं आयकर विभाग का आकलन (आफ द रिकार्ड) है कि अपने देश में सबसे अधिक कालाधन नेताओं और अफसरों के पास है।
ललित मोदी को भी धन्यवाद कि उन्होंने मंत्री के इसरार के बाद भी सुनंदा पुष्कर का नाम सार्वजनिक किया वरना लोग कई साल तक अनुमान ही लगाते। वैसे कोच्चि टीम ने मांग की है कि अब राजस्थान रायल्स और किंग्स इलेवन के हिस्सेदारों के नाम भी उजागर किए जाएं। हमारी सीमित जानकारी इतनी ही थी कि इन टीमों की सह मालकिन क्रमश शिल्पा सेट्टी और प्रिटी जिंटा हैं लेकिन अब पढ़ने में आ रहा कि मोदी के परिजन व नातेदार भी निवेश किए बैठे हैं। फिर क्यों न हो आईपीएल हिट?

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